प्राक्‍कथन

केन्‍द्रीय सांख्‍ियकी संगठन, भारत सरकार के मार्गदर्शन में अर्थ एवं संख्‍या प्रभाग, उत्‍तर प्रदेश के सहयोग से प्रदेश में पांचवी आर्थिक गणना 2005 सम्‍पन्‍न करायी गयी। सर्वप्रथम वर्ष 1977 में गैर कृषीय संस्‍थानों को आच्‍छादित करते हुए आर्थिक गणना सम्‍पन्‍न करायी गयी। उसके तत्‍पश्‍चात् 1980, 1990 व 1998 में समस्‍त कृषीय व गैर-कृषीय उद्यमों (फसल उत्‍पादन व बागवानी को छोड़कर) आर्थिक गणना सम्‍पन्‍न करायी गयी। इसी श्रृंखला के अन्‍तर्गत पांचवी आर्थिक गणना 2005 का सम्‍पादन हुआ।

 

प्रदेश के समस्‍त 70 जनपदों में स्‍िथत 304 वहसीलों के समस्‍त 107480 राजस्‍व ग्रामों एवं 706 नगरों के प्रत्‍येक परिवारों/प्रतिष्‍ठानों से व्‍यक्‍ितगत सम्‍पर्क स्‍थपित करके उद्यमों की गणना की गयी। इस र्का हेतु ग्रामीण क्षेत्र में कुल 151483 तथा नगरीय क्षेत्र में 52108 अर्थात् प्रदेश स्‍तर पर 203591 प्रगणन खण्‍डों का निर्धारण किया गया, जिसमें 66952 प्रगणकों, 32390 पर्यवेक्षकों तथा 1561 चार्ज अधिकारियों ने सहयोग प्रदान किया। इस कार्य में प्रदेश के प्राथमिक/जूनियर बेसिक विद्यालयों, ग्राम्‍य विकास, समाज कल्‍याण, पंचायत सहकारिता, कृषि विभाग के साथ-साथ स्‍वैच्‍िछक संगठनों एवं बेरोजगार युवकों का सहयोग लिया गया।

 

आर्थिक गणना के वृहद कार्य को निर्धारित अवधि में सफलतापूर्वक पूर्ण कराने के उद्देश्‍य से मुख्‍य सचिव, उ0प्र0 की अध्‍यक्षता में राज्‍य स्‍तरीय आर्थिक गणना स्‍टीयरिंग एण्‍ड मॉनीटरिंग समिति तथा जनपद स्‍तर पर जिलाधिकारियों की अध्‍यक्षता में आर्थिक गणना समन्‍वय एवं अनुश्रवण समिति का गठन कराया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में खण्‍ड विकास अधिकारी तथा नगर स्‍तर पर सचिव/अधिशासी अधिकारी/उप नगर अधिकारी को चार्ज अधिकारी नामित किया गया। आर्थिक बोध एवं संख्‍या निदेश के मार्गदर्शन में जिला स्‍तर पर समस्‍त अर्थ एवं संख्‍याधिकारियों तथा मण्‍डलीय उपनिदेशकों (अर्थ एवं संख्‍या) के अथक परिश्रम से इस कार्य की सफलता सुनिश्‍िचत की गयी और दिनांक 17.07.2005 से 15.11.2005 के मध्‍य क्षेत्रीय गणना कार्य पूर्ण करा लिया गया।

 

इस आर्थिक गणना में एकत्रित आंकड़ों का विधायन इंटेलिजेंस करेक्‍टर रिकग्‍नीशन (ICR) तकनीक से प्रथम बार किया गया है। 10 अथवा अधिक कर्मियों वाले उद्यमों की सूचनाएं पता पर्ची (Address Slip) के माध्‍यम से भी एकत्रित करायी गयी है, जिसकी सहायता से उद्यमों की निदर्शिनी तैयार कर व्‍यापार पंजिका तैयार करने का उद्देश्‍य पूर हो सकेगा।

 

इस प्रतिवेदन हेतु आंकड़े संग्रहण करने में लगे प्रदेश के समस्‍त अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा अर्थ एवं संख्‍या प्रभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मैं धन्‍यवाद् देता हूँ, जिन्‍होने लगन एवं कठिन परिश्रम द्वारा इस प्रतिवेदन को तैयार किया है। साथ ही इस प्रतिवेदन हेतु अपेक्षित आंकड़े उपलब्‍ध कराने के लिए प्रदेश के समस्‍त उद्यमियों के प्रति आभार व्‍यक्‍त करता हूँ।

 

मुझे आशा है कि यह प्रतिवेदन सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के नव उद्यमियों हेतु नीति निर्धारण, आर्थिक विकास को स्‍थायी नीति व दिश प्रदान करने, योजनाओं की वैज्ञानिक आधार पर संरचना करने तथा नियोजन हेतु विश्‍वसनीय सांख्‍ियकी उपलब्‍ध कराने में उपयोगी सिद्ध होगा।

 

लखनऊ

दिनांक: जुलाई 28, 2008                                                                  पंकज अग्रवाल

                                                               प्रमुख सचिव,

                                                               नियोजन विभाग

                                                               उ0प्र0 शासन।